भारत में स्कूल कैसे खोलें? How to open a school in India?

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भारत में स्कूल कैसे खोलें? How to open a school in India?

 





भारत में स्कूल कई प्रकार के होते हैं जैसे - प्ले स्कूल, किंडरगार्टन, प्री–प्राइमरी, प्राइमरी, सेकेंडरी या हायर सेकेंडरी जैसे विभिन्न प्रकार के स्कूल शुरू कर सकते हैं। कक्षा 8वीं या उससे अधिक की कक्षाओं का स्कूल शुरू करने वाले को स्टेट बोर्ड से अनुमित लेनी होती है। इसलिए राज्य बोर्ड से एफिलिएटेड सेकेंडरी या सीनियर सेकेंडरी स्कूल कई अन्य बोर्डों जैसे केंद्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड (CBSE), भारतीय स्कूल प्रमाणपत्र परीक्षा परिषद (CISCE), अंतर्राष्ट्रीय बोर्ड (IB) या 29 राज्यों के राज्य बोर्ड जैसे बोर्डों के लिए आवेदन किया जा सकता है। भारत में स्कूल कैसे खोलें?  How to open a school in India?


एक बार जब स्कूल शुरू हो जाता है, तब संबंधित अधिकारियों से लाइसेंस और अनुमति प्राप्त करने में कुछ समय लग जाता हैं। शिक्षा विभाग (DOE) एक निश्चित क्षेत्र में स्कूल खोलने की आवश्यकताओं पर विचार करने के बाद एक अनिवार्यता सर्टिफिकेट (ईसी) जारी करता है। DOE से ये सर्टिफिकेट लेने के बाद 3 साल के भीतर स्कूल का निर्माण शुरू करना होगा। सोसायटी का फाइनेंशियल स्टेटस चेक करने के बाद, सदस्यों के सहयोग की पुष्टि करने और सोसायटी की गैर–मालिकाना प्रकृति को प्रमाणित करने के बाद, ईसी जारी की जाती है।


 स्कूल शुरू करने के लिए  आसानी से बैंकों और एनबीएफसी से बिज़नेस लोन भी मिल  सकता है, स्कूल खोलने के लिए शुरूआती निवेश ज्यादा  होता है और लोग इसमें अपनी सारी सेविंग्स इंवेस्ट नहीं करना चाहते।

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, भारत में मुख्य रूप से एक निजी स्कूल शुरू करना काफी खर्चिला साबित हो सकता है। स्कूल खोलने के लिए समय और पैसों के अच्छे निवेश की आवश्यकता होती है। NGO के अतर्गत आने वाले स्कूलों को कंपनी अधिनियम 2013 की धारा 8 के तहत रजिस्टर किया जाता है। स्कूल 1860 के सोसायटी अधिनियम के तहत भी खोले जा सकते हैं। स्कूल खोलने की लागत कई कारणों पर निर्भर करती है जैसे कि स्कूल किस स्थान पर खोला गया है, उसके लिए कौन-सा बोर्ड चुना गया है आदि। अगर आप भी भारत में स्कूल खोलना चाहते हैं तो इसके बारे में अधिक जानकारी के लिए ये लेख अवश्य पढ़ें।



भारत में स्कूल खोलने के लिए जरूरी चरण

1. स्कूल के प्रकार का निर्धारण 

प्ले स्कूल, किंडरगार्टन, प्री–प्राइमरी, प्राइमरी, सेकेंडरी या हायर सेकेंडरी जैसे विभिन्न प्रकार के स्कूल शुरू कर सकते हैं


2. स्कूल शुरू करने के लिए जरूरी जमीन 


CBSE बोर्ड के लिए भूमि की आवश्यकता

दिल्ली, मुंबई, कोलकाता, चेन्नई, या बेंगलुरु जैसे प्रमुख महानगरों में प्री–प्राइमरी से सीनियर सेकेंडरी तक स्कूल खोलने के लिए न्यूनतम 1 एकड़ भूमि या 4000 वर्ग मीटर भूमि की आवश्यकता होती है। माध्यमिक स्तर तक के स्कूल यानी 10वीं कक्षा तक के स्कूलों के लिए आधा एकड़ भूमि या 2000 वर्ग मीटर भूमि की आवश्यकता होती है। 15 लाख से अधिक आबादी वाले प्रमुख शहरों में प्री–प्राइमरी से 12वीं कक्षा तक के स्कूल खोलने के लिए कम से कम 1 एकड़ भूमि की आवश्यकता होगी। छोटे शहरों या गांवों में स्कूल खोलने के लिए 1.5 एकड़ भूमि की आवश्यकता होती है।


भूमि की आवश्यकता: CISCE बोर्ड

CISCE बोर्ड से एफिलिएटेड स्कूल के लिए कम से कम 2000 वर्ग मीटर भूमि की आवश्यक्ता होती है, प्रत्येक कक्षा का आकार 400 वर्ग फुट से कम नहीं होना चाहिए। खेल के मैदान, कंप्यूटर और साइंस लैब, लाइब्ररी,आर्ट रूम, एम्फीथिएटर, स्टेज आदि के साथ न्यूनतम क्लास साइज़ 400 वर्ग फुट होना चाहिए।


ज़मीन का अलोटमेंट

किसी भी प्रकार का स्कूल खोलने के लिए डीडीए या एमसीडी से और राज्य के संबंधित विकास प्राधिकरण से ज़मीन खरीदनी होगी।


3. बोर्ड से एफिलिएटेड

CISCE और CBSE बोर्ड के आवेदन के लिए 1 साल तक स्कूल का संचालन करना ज़रूरी है।


4. स्कूल स्ट्रक्चर की स्थापना

हेड मास्टर, शिक्षक, प्रींसिपल, वाइस प्रींसिपल, असिस्टेंट टीचर, असोशिएट टीचर, अकाउंट्स डिपार्टमेंट, लैब असिस्टेंट, कम्प्यूटर प्रोफेशनल, चपरासी, सहायक कर्मचारी, ड्राइवर आदि की नियुक्ति।


स्कूल खोलने के लिए अतिरिक्त जरूरी चीजें 

एडमिशन: एडमिशन फॉर्म, मेडिकल फॉर्म, एप्लीकेशन फॉर्म, फीस स्ट्रक्चर, स्कूल ब्रोशर

स्टेशनरी: स्कूल लेटरहेड,ऑफिस स्टेशनरी, आर्ट एंड क्राफ्ट स्टेशनरी

स्टाफ सिलेक्शन: स्कूल की आवश्यकताओं के अनुसार

विज्ञापन: समाचार पत्रों के विज्ञापन, होर्डिंग, फोटोग्राफ आदि।

यूनिफॉर्म: छात्रों के लिए सर्दियों और गर्मियों की यूनिफॉर्म, टीचिंग स्टाफ, नॉन–टीचिंग स्टाफ, सहायक कर्मचारी के लिए ड्रेस कोड

क्लास रूम के लिए आवश्यक चीज़ें: सफेद, काले, हरे और इंटरैक्टिव बोर्ड, कर्मचारियों और शिक्षकों के लिए टेबल और कुर्सियां, सीसीटीवी और चाय व कॉफी के लिए वेंडिंग मशीन

खरीद: किताबें, फर्नीचर और कंप्यूटर, वाटर कूलर और प्यूरीफायर, वीडियो और स्टिल कैमरा, इंटरनेट और वाई–फाई कनेक्शन,स्कूल आईडेंटिटी कार्ड, पोस्टर, पेंटिंग, स्कूल सॉफ्टवेयर आदि।

ट्रांसपोर्ट: स्कूल कर्मचारियों के लिए स्कूल ट्रांसपोर्ट, मेडिकल वैन, वाहनों के लिए पार्किंग

कंस्ट्रक्शन: स्कूल बिल्डिंग, टीचिंग और नॉन–टीचिंग स्टाफ क्वार्टर, मेस, कैंटीन और बोर्डिंग (अगर आवश्यक हो)

स्कूल पॉलिसी: स्कूल का नाम, स्कूल का विजन और मिशन, टीचर्स फॉर्म और स्कूल का लोगो, वेबसाइट और कैलेंडर।

प्लांटेशन: सदाबहार पेड़, मौसमी फूल, सभी क्षेत्रों में घास, बाड़ लगाना और इनडोर पौधें लगाना।


स्कूल की स्थापना के बाद जरूरी कागजात 

जमीन की खरीद का एफिडेविट

बिल्डिंग फिटनेस का MCD सर्टिफिकेट

सर्टिफिकेट ऑफ एफिलिएशन CBSE

सर्टिफिकेट ऑफ MCD

सर्टिफिकेट ऑफ रिक्गनिशन MCD/DoE

DoE से लेटर ऑफ स्पॉन्सरशिप

DoE से सर्टिफिकेट ऑफ अपग्रेडेशन

कंप्लीटेशन सर्टिफिकेट DDA

अप्रूव्ड स्कीम ऑफ मैनेजमेंट DoE

एसेंशियलिटी सर्टिफिकेट DoE

संबंधित राज्य का MCD/विकास प्राधिकरण

बैंक द्वारा इश्यू किया गया FD के बदले में नो लोन सर्टिफिकेट 

MCD/संबंधित राज्य की डेवल्पमेंट अथॉरिटी

परमिट सर्टिफिकेट लैंडलोर्ड

सोसायटी का रजिस्ट्रेशन सर्टिफिकेट – सोसायटी मान्यता अधिनियम, 1860

बिल्डिंग का साइट प्लान या MCD/DDA द्वारा अप्रूव्ड प्लान

जल बोर्ड से जल परीक्षण रिपोर्ट

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